पृष्ठ २५ – कुछ चुनें हुए मुक्तक

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रोटी तुमको राम ना देगा

आँधी के झूले पर झूलो
आग बबूला बन कर फूलो
कुरबानी करने को झूमो
लाल सबेरे का मुँह चूमो
ऐ इंसानों ओस ना चाटो
अपने हाथों पर्वत काटो
पथ की नदियाँ खींच निकालो
जीवन पीकर प्यास बुझा लो
रोटी तुमको राम ना देगा
वेद तुम्हारा काम ना देगा
जो रोटी का युद्ध करेगा
वह रोटी को आप वरेगा।
— मुक्ति बोध

झूठ नहीं सच होगा साथी

गढने को जो चाहे गढ़ ले
मढने को जो चाहे मढ ले
शासन के सौ रूप बदल ले
/राम बना रावण सा चल ले
करने जो चाहे कर ले
चलनी पर चढ़ सागर तर ले
चिउंटी पर चढ़ चाँद पकड़ ले
लड ले एटम बम से लड़ ले
झूठ नहीं सच होगा साथी ।
— केदार नाथ अग़वाल
( मूल चन्द़ गौतम )
चन्दौसी , उ प़ ।