पृष्ठ ८ – गीत ” मां की ममता “

                    मां की ममता 
करुणा रहती दिल में जिसके ,बहता ममता का समन्दर है
भगवान मुझे तेरा चेहरा ,दिखता मेरी माँ के अन्दर है ।
जब से हम दुनिया में आते ,हमें अपना दूध पिलाती है
खुद तो वो जगती रहती पर ,हमें लोरी गा के सुलाती है
जिसको ममता मिल जाए माँ की ,वो बन जाता सिकंदर है ।
भगवान मुझे तेरा चेहरा ,दीखता मेरी माँ के अन्दर है ।
वो कितनी नाजुक थी ऊँगली जिसे पकड़ के हम तब चलते थे
वो गोद था लगता सिंघासन जिस गोद में हम तब पलते थे
वो सिंघासन भी छुटा जबसे बड़ा हुआ ये बन्दर है  ।
भगवान मुझे तेरा चेहरा ,दीखता मेरी माँ के अन्दर है ।
सुख की घडी या दुःख की हो ,हर पल वो साथ निभाती है
ना जाने कितने दर्द सहे ,पर किसी को नहीं बताती हैं
अब पास नहीं वो मेरे पर उसकी यादो का मंजर है ।
भगवान मुझे तेरा चेहरा ,दीखता मेरी माँ के अन्दर है ।
— दुर्गेश दुबे प़ेमी
( मुम्बई के नवोदित गीतकार )