पृष्ठ २९ — ( ” ये छद्म मानवाधिकारवादी” )

ये छद्म मानवाधिकारवादी

भारत में जितने भी लोग आतंकवादियों के मानवाधिकार के समर्थन में कुतर्क पेश करते है .अगर उन सभी मानवाधिकारवादियों को कश्मीर की भारत पाकिस्तान सीमा पर जहां देश की सेना दुश्मनों के बारूद का सामना करती है भेज दिया जाए तो दुश्मन देश की तरफ से आने बाली बर्स्ट फायरिंग , ग्रेनेड और RDX के धमाको और गोलियों की तड़तडाहट की आवाज सुनने मात्र से इन तथाकथित मानवाधिकारियो के शरीर के सारे छिद्र पसीना उगल देंगे ….. उम्मीद इस बात की भी है कि ऐसे माहौल में बहुत से मानवाधिकारवादी अपने कपडे आगे से गीले और पीछे से पीले करने के साथ ह्रदयाघात की चपेट में आ कर अपना शरीर ही त्याग बैठें…।अपने आरामदायक आफिस या घर के कमरे में बैठ आतंकियों की बकालत करना बहुत आसान है लेकिन जब आतंकियों का बारूद एक धमाके के साथ शरीर में घुस कर खून का फौब्बारा बाहर उगलने लगता है तो बडो बडो को अपनी असली औकात के दर्शन हो जाते है …………!!!
   इशरत जहाँ एक स्टूडेंट थी…उस की माँ ने कहा वो इकलौती कमाने वाली थी….क्या पकिस्तान से उस की कमाई आती थी…? उन्नीस साल की लड़की को ऐसा क्या काम था जो वो तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ अपना घर छोड़ के इतनी लम्बी यात्राएं कर रही थी…?
भारत सरकार के गृह मंत्रालय के कागजों में जो लश्कर ए तैय्यबा की आतंकवादी है…और डेविड हेडली ने भी जिस के आतंकवादी होने के सबूत दिए हैं…!
एनकाउंटर में मारा एक पाकिस्तानी आतंकवादी जावेद डबल एजेंट था…! डबल एजेंट मतलब समझे…? जैसे कांग्रेस है जनता की डबल एजेंट…एक तरफ कमीशन, लूट और घोटाले हैं दूसरी  तरफ इलेक्शन के पहले गरीबों के लिए (फ़ूड सेक्युरिटी) खाने का प्रबंध करती है…!
   — गिरीश त्रिपाठी
( फेस बुक से साभार  ४ जुलाई २०१३ )