हिलाल स्योहारवी का काव्य संग़ह नुक़्ताएनज़र ( देवनागरी लिपि में ) नजीबाबाद के परिलेख
प़काशन ने हाल में ही छापा है । उस पर बिजनौर के कवि भोला नाथ त्यागी की टिप्पणी
देखिये — सम्पादक
स्योहारा में जन्में हबीबुर्रहमान पुत्र फजल हक की शिक्षा स्योहारा और अलीगढ़ में सम्पन्न हुई। शायरी केे क्षेत्र में आपकी पहचान हिलाल स्योहारवी के रूप में हुई। हिलाल का अर्थ है- नया चाँद। हिलाल साहिब की शायरी के जलाल (प्रताप, तेज़, अज़मत) ने उन्हें और भी ऊँचाइयों पर स्थापित कर दिया। उनके उस्ताद अबदुल खालिक निहाल स्योहारवी को अपने इस शागिर्द पर यूॅ ही नाज़ नहीं था।
हिलाल स्योहारवी ने 41 वर्षो तक अपर गैंगेज स्योहारा शुगर मिल में ईमानदारी के साथ नौकरी की। इसी दौरान आपको शायरी का चस्का लग गया। उस्ताद के रूप में निहाल साहिब मिले तो आप में निखार आ गया। आपके द्वारा रचित ग़ज़ल, नज़्म और कतआ अनेक संग्रहों फरेबे सहर, फरेबे नज़र, अंगूठा छाप, अगर बुरा न लगे (उर्दू) धुंधला सवेरा और नुक़ता ए नज़र (हिन्दी) में संग्रहित हैं।
हिलाल साहिब ने मुम्बई का भी रुख किया यहीं पर उनकी सुपरस्टार रहे दिलीप कुमार और जानी वाॅकर से दोस्ती हो गई।
हिलाल साहिब के नजदीकी डाॅ. मनोज वर्मा का कहते हैं- स्योहारावासियों के लिए उनकी पुस्तक का विमोचन ही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
हिलाल साहिब को श्रद्धांजलि देते हुए मशहूर शायर जनबा महेन्द्र अश्क कहते हैं-
जिन्दगी जिसपे नाज़ करती है उसको जाहो जलाल कहते हैं।
शायरी जिसपे नाज़ करती है लोग उसको हिलाल कहते हैं।।
— भोला नाथ त्यागी
( बिजनौर उ प़ )